रिर्पोट -सहसंपादक- आसिफ़ अंसारी
संपादक - अंकित सक्सेना & ज़िला संवाददाता -अनिकेत सिंह
बरेली में हजरत शाह शराफत मियां की दरगाह के सज्जादानशीन मोहम्मद सकलैन मियां का शुक्रवार को इंतकाल हो गया।सकलैन मियां दिल की बीमारी से पीड़ित थे। वह 70 वर्ष के थे। दुनिया-ए-फानी से उनके रुखसत होने की खबर मिलते ही देश-विदेश में मौजूद तमाम मुरीदों में गम की लहर दौड़ गई। रविवार को 10:00 उन्हें शराफत मियां दरगाह के अंदर सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा शुक्रवार की शाम साढ़े छह बजे अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें बरेली के चौपला स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इंतकाल हो गया। उनके पार्थिव शरीर को शाहबाद स्थित दरगाह शरीफ लाया गया। दरगाह के मीडिया प्रभारी हमजा सकलैनी ने बताया की रविवार सुबह 10 बजे जनाजे की नमाज अदा की जायेग दरगाह शरीफ के ही अंदर उन्हें सुपुर्द-ए खाक किया जायेगा।
पीर मुर्शिद के दुनिया से अलविदा कहा जाने की खबर जैसे ही आसपास के मुरीद के साथ देश-विदेश के मुरीदन के लगी तो मुरीद अपने पीर का आखरी दीदार के लिए बेताब हो गए और शुक्रवार की शाम से सुबह तक हजारों ने अपने पीर का दीदार आखिरी करने के लिए अकीदतमंद पहुंचने लगे। यह सिलसिला रातभर चलता रहा। उन्हें सुपुर्द-ए-खाक करने पर देर रात निर्णय लिए गया शनिवार को बड़ी संख्या में मुरीदों देश विदेश के साथ आस पास के जिला से पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया ट्रैफ़िक को लेकर पुलिस प्रशासन ने शहर में ट्रैफिक डायवर्जन किया,
सकलैन मियां राजनीति में सक्रिय नहीं थे, लेकिन बड़े-बड़े नेता उनका आशीर्वाद पाने के लिए दरगाह पे आते रहते थे कई बार राजनीति पार्टियों के बड़े नेता मियां से अपनी चुनावी जीत को लेकर आशीर्वाद भी लेते रहे हैं । जिले की राजनीति पर उनका गहरा प्रभाव था। ककराला मे साल 2012 में सकलैन मियां के पिता शाह शुजात अली मियां का उर्स था। उर्स खत्म होने पर सकलैन मियां अपने घर के दरवाजे से बाहर निकलकर टहल रहे थे, तभी तत्कालीन बसपा विधायक मुस्लिम खां की गाड़ी का पहिया उनके पैर से छू गया। इसके हादसे की खबर ज़ब मुरीदो को लगी तो मुरीदो ने जमकर हंगामा किया था साथी मुख्यमंत्री मायावती ने विरोध के चलते मुस्लिम खा को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया था।
हजरत सकलेन मियां ने हमेशा अमन का पैगाम दिया और अमन के रास्ते पर लोगों को चलने की नसीहत देते थे, 27 नंबर को सकलेन मियां ने उर्स के दौरान सकलैन मियां ने कहा कि हम तमाम अहले सुन्नत वल जमाअत के उलमा का अदब ओ एहतिराम करते हैं। तमाम उलमा हमारे रहबर हैं। आलिम वो है जिसके अंदर अल्लाह का खौफ है। जब तक अल्लाह का खौफ नहीं होगा आलिम नहीं हो सकता।
हम तमाम सहाबा को आलिम मानते खानकाहे शाह शराफत, बरेली के सज्जादानशीन हजरत शाह सकलैनी मियां ने देश व कौम की सलामती के लिए दुआ करते रहे साथ ही अपने मुरीदो से पानी की फिजूल खर्ची को मना करते रहे सकलेन मियां हर साल गरीब लड़कियों की बड़ी धूमधाम के साथ उनकी शादियां कराते थे और साथी उन्हें दान दहेज देकर उन्हें रुखसत करते थे सकलेन मियां हमेशा गरीबों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते थे खानका शराफत या में हमेशा 24 घंटे लंगर का इंतजाम भी सज्जाद नशीन की तरफ से कराया जाता था।
हमीद उद्दीन सकलैनी ने बताया कि पीरोमुर्शिद सकलैन मियां की पैदाइश बदायूं के ककराला शरीफ में हुई थी। हजरत शाह शराफत मियां उनके दादा थे। उनसे 14 साल की उम्र में ही सकलैन मियां ने खिलाफत हासिल कर ली थी। कुछ समय बाद ही उनकी प्रसिद्धि सिर चढ़कर बोलने लगी। उनके इर्दगिर्द भीड़ इकट्ठी रहती थी और लोग मुरीद होने की तमन्ना करते थे। उन्होंने अल्लाह की रजा के लिए खिदमत ए खल्क की। यही वजह थी कि आस्ताने पर आने वाले जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा लंगर चलता रहा।





