बरेली इमाम अहमद राजा खा का तीन रोज उर्स का आज तीसरे दिन समापन हो गया है उर्स में देश दुनिया के कोने-कोने से जरीन पहुंचे और उनके लबों पर,सिर्फ आला हजरत की गूंज सुनाई दे रही थी। उर्स शुरू होने से पहले पूरा माहौल बदल चुका था। जहां देखों वहां सिर्फ जायरीन दिखाई दे रहे थे आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी के 105 वें उर्स का

 सहसंपादक - आसिफ अंसारी

उर्स के मच से मुसलमान को नसीहत भरा पैगाम दिया है कहां है कि अपने बच्चों को दीनी तालीम के साथ दुनिया भी तालीम में आगे बढ़े साथी सोशल मीडिया से बच्चों को दूर रखें, मंच से तकरीर में कहा गया है कि काम को आज सुधारने की जरूरत है,


उर्स स्थल पर जायरीन ने आला हजरत की लिखी किताबें खरीदने में मशगूल दिखाई दे रहे। साथ में घरों की दीवारों को सजाने के लिए इस्लामी तुगरे और ईद मिलादुन्नबी के मौके पर लगाए जाने वाले झंडे की भी खरीदारी की। इत्र और टोपियों की भी खूब बिक्री हुई। अजहरी और बरकाती टोपियों की खूब मांग रही।


मुल्क के हालात को लेकर दुआ की गई 

उर्स प्रभारी सलमान मिया ने बताया कि इमाम अहमद रजा कांफ्रेंस में शामिल हुए और मुफ्ती ए आजम का कुल शरीफ 1 बजकर 40 मिनट पर हुआ उसके बाद लाखो ज़ायरीन खासकर अमेरिका, यू के, तुर्की, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, दुबई, मॉरीशस, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश वा श्रीलंका से आए काजी ए हिन्दुस्तान मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा़ खां का़दरी के हाथ पर बैत ली और काजी ए हिन्दुस्तान ने उनके लिए दुआ की और दरगाह ताजुश्शरिया पर लोगों ने रात भर गुल पोशी व चादर पोशी की।

मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने कहा कि दीन से दूर रहने की वजह से ही मुस्लिम लड़कियां बहक रही हैं। हमें उन्हें बचाने की जरूरत है। मां-बाप बेटियों पर खास नजर रखें। तनजानिया से आए मुफ्ती फैज रजा, इंग्लैंड से आए अल्लामा फारोग उल कादरी, मौलाना जिकरुल्लाह, डॉ. एजाज़ अंजुम, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी, मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी की तकरीरें देर रात तक जारी रहीं। 


इस्लामिया कॉलेज मैदान में सुबह अंतरराष्ट्रीय सौहार्द कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें उलमा ने लोगों को नशाखोरी से दूर रहने व शरई दायरे में रहते हुए सौहार्द को बढ़ावा देने का संदेश दिया। मुफ्ती आसिफ मंजरी ने देशभर से आए उलमा व मस्जिदों के इमामों से कहा कि वह जुमे की नमाज के खुतबे में सौहार्द को बढ़ावा देने की बात करें। अपनी तकरीर में नफरत को मिटाने पर जोर दें।


पैगंबर-ए-इस्लाम व दूसरे मजहबों के रहनुमाओं के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के लिए सख्त कानून बनाने की आवाज उठाई गई है मदरसा मंजर-ए-इस्लाम के वरिष्ठ मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि इस्लाम शांति का मजहब है। यही वजह है कि मुसलमान शरीयत पर अमल करने के साथ-साथ अपने मुल्क के संविधान पर भी चलता है। लोग पूरे मुल्क में इस्लाम की अमन पसंद सुन्नी सूफी विचारधारा को पहुंचाएं। मुस्लिम युवा खुद को मजहब व समाज विरोधी गतिविधियों से दूर रखें। बेहतर तालीम हासिल करें।

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