बांध बनाने को लेकर सदन में उठी थी आवाज,बरसों से संघर्ष कर रहे हैं किसान यूनियन व पूर्व विधायक

सह-संपादक - आसिफ़ अंसारी & ज़िला ब्यूरो चीफ -शैलेश सिंह राठौर & ज़िला संवाददाता -अनिकेत सिंह


बरेली बहगुल नदी पर बांध बनाने को लेकर वर्षो से संघर्ष चल रहा है लेकिन यह संघर्ष अभी भी जारी है सदन से लेकर अफसर तक कई बार किसान कल्याण समिति वह पूर्व विधायक को अफसर ने लॉलीपॉप दिया लेकिन उसके बावजूद भी आज तक इस इलाके में बाध न बनने से लोगों को खास परेशानी हो रही है यहां तक की इस बंद को बनाने के लिए बजट भी जारी किया लेकिन यह बजट कहां चला गया इसका कोई भी पता नहीं किसान कल्याण समिति के किसानो ने 50 किलो मीटर पैदल मार्च कर डीएम को ज्ञानप दिया है समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक 85 वर्षीय जयदीप सिंह बरार के नेतृत्व में किसान शीशगढ़ बस अड्डे से पैदल हाथों में किसान नेता झंडा लेकर निकल पड़े किसान नेताओं ने कहा है कि बरसों से बांध बनाने को लेकर वह अफसर के चकर कट रहे हैं लेकिन इलाके मैं बंद नहीं बनाया जा रहा है।


किसान कल्याण समिति बनाते हैं कच्चा बांध 

किसान नेता ने पत्र में बताया कि वह वर्ष 2016 से पश्चिमी बहगुल नदी पर खमरिया गांव के पास किसान कल्याण समिति की ओर से प्रतिवर्ष अक्टूबर माह में कच्चा बांध बनाते चले आ रहे है। इससे बहेड़ी बिलासपुर और मीरगंज तहसील के सैकड़ों गांवों के किसानों की फसलों की सिंचाई मुफ्त में होती है। इसके साथ ही आस पास नहर में पानी आने से भूमि का जलस्तर भी बना रहता है।


करोड़ रुपये का बजट से बांध बनाने का निर्णय लिया गया

19 सितंवर 2020 को बहेड़ी के गांव खमरिया के सैकड़ों लोगों के विरोध के चलते बहगुल नदी पर बांध बनाने के लिए नाबार्ड बैंक की तरफ से लोन57.46 करोड़ रुपये का बजट से बांध बनाने का निर्णय लिया गया था लेकिन यह भी अंधेरे में लटक गया इसके साथ केंद्रीय जल आयोग ने भी प्रदेश शासन से बांध की प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी है। दरअसल वर्षो से समस्या जय रहे किसानों ने चार साल से बांध बनाने को लेकर मोर्चा खोल दिया खमरिया के लोगों ने अपनी बढ़ती समस्या को लेकर चार साल पहले खुद ही तीन लाख का चंदा इकट्ठा कर बहगुल पर अस्थाई बांध बना लिया था। यह मामला शासन तक गूंजा था।

पूर्व विधायक ने 1980 से शुरू की थी पहला

पूर्व विधायक जयदीप सिंह ने कहा की अगर यहां पर बांध बनाया जाता है तो बहेड़ी के साथ रामपुर जिले के बिलासपुर इलाके के सौ से ज्यादा गांवों को सिंचाई की समस्या से मुक्ति मिलेगी। खमरिया बांध टूटने के बाद करीब तीस साल से इन गांवों के किसान सिंचाई के संकट से जूझते आ रहे थे। किसी भी सरकार में सुनवाई नहीं हुई तो करीब चार साल पहले लोगों ने तीन लाख रुपये का चंदा इकट्ठा कर 25 दिन तक रात-दिन की मेहनत के बाद खुद नदी की धार को बांध बन दिया था जिसके बाद कुछ गांवों में नदी का पानी खेतों तक पहुंचना शुरू हो गया था।

किसान कल्याण समिति हर साल 4 लख रुपए चंदा करके बनाती है कच्चा बधा

लगभग 30 वर्षों से सिंचाई के पानी की समस्या का सामना कर रहे स्थानीय लोग खमरिया में एक स्थायी बांध के टूटने के बाद से 2016 से हर साल तटबंध बांध का निर्माण कर रहे हैं। मिट्टी के बांध के निर्माण के लिए आवश्यक फंड जो कि 3-4 लाख रुपये के बीच है की जरूरत होती, जिसका इंतजाम किसान कल्याण समिति (किसान कल्याण के लिए एक पंजीकृत समूह) द्वारा क्राउडफंडिंग के माध्यम से किया जाता है।

19वीं सदी से हर साल बनाया जाता है

हालांकि इस लीजेंड का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, फिर भी 78 वर्षीय, जिन्होंने 1980 से 1989 तक विधायक और 1990 से 1996 तक एमएलसी के रूप में कार्य किया दीप ने बताया कि पास के बल्ली गांव के कुछ मुस्लिम जमींदारों को एक कच्चा बांध मिलता था जिसे 19वीं सदी से हर साल बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए एक जलाशय बनाने के लिए नदी पर एक स्थायी बांध का निर्माण किया था।

बाल नियंत्रण विभाग की तरफ से दो बार कराया गया था डिजाइन

नहर सिंचाई के लोगो की मैने तो बाढ़ नियंत्रण विभाग की तरफ से दो डिज़ाइन तैयार कराए गए थे, लेकिन साल 18-19 अक्टूबर को बाढ़ के दौरान नदी का जल स्तर एचएफएल से 1.5 मीटर ऊपर बढ़ गया था। लेकिन नतीजतन, प्रस्तावित बांध के लिए धन का आवंटन रोक दिया गया था क्योंकि डिजाइन पर अब फिर से काम करने की जरूरत थी।  परियोजना को एक बार फिर से डिजाइन किया जाएगा और मुख्य अभियंता की समिति को मंजूरी के लिए भेजा गाय ।

जीवन के आखिरी पड़ाव में भी बांध बनाने की आस 

दिलचस्प बात यह है कि बल्ली नहर प्रणाली (खमरिया बांध) को 1989 के बाद मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन 2017 में नागरिकों द्वारा इसे एक नया जीवन दिया गया था। “अब, इसमें अतिरिक्त पानी है। इस जलाशय का पानी रबी के मौसम (सर्दियों) के दौरान बांग्लादेश चला जाता है।“


 

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